Secret of success

प्रगती का सूत्र
       
एक व्यापारी था । एक बार वह बहूत बिमार पडा ।मृत्यु को निकट देखकर उसने अपने बेटे को बुलाया । उसने बोला – मैं तुम्हे जीवन कि सफलता का राज बताना चाहता हूँ । पहली बात – सुनो गोदाम में सदा छाया में ही जाना और छाया में ही आना । दूसरी – सोच समझ कर पैसा उधार देना कभी मांगने न जाना । तिसरी – अधिक माल खरिद्ना और उसे कम दाम में बेचना । चौथी बात ‘’ इतना कहते कहते उसके प्राण पखेरु उड गये ।
      चौथी बात वह नही कह पाया । बेटा था आज्ञाकारी , उसने पिता कि बात का पालन बडी लगन से किया । वह गोदाम में छाव में जाता आता था । इसलिये गोदाम तक टीन का बरामदा बनवा लिया । उसने जिसको पैसे उधार दिये वापस नही मांगे । अधिक दाम में चीज़े खरिद कर उन्हे कम दाम में बेचने लगा । यह सब करने से उसे घाटा होने लगा । कुछ हि दिनो में व्यापार में लगा धन आधा हो गया ।
      एक दिन उसके चाचा मिलने आये । लडके से व्यापार के बारे में पूछा । लडका बोला क्या बताऊं चाचा जी पिताजी कि बातों पर अमल करके व्यापार में घाटा हि घाटा होने लगा ।
      चाचा सारी बातें सुन कर हंसे । बोले - बेटा तुम बातों का अर्थ ठिक नही समझते ।  भाईसाहब का छाव में आने जाने का मतलब था , सुबह अंधेरे में हि गोदाम में जाना और शाम को अंधेरा होनेपर हि लौटना । मतलब दिनभर मेहनत से काम करना । दुसरी बात का अर्थ ऐसे ही लोगो को उधार देना जो बिना मांगे पैसे लौटा दे । तिसरी बात का मतलब भी समझ , माल अधीक खरिद्ना और उसे बाजार भाव से थोडे कम दाम में बेचना जिससे लोग तुम्हारा ही माल खरिदे । चौथी बात जो बतानी रह गयी थी वह थी इन सब का अर्थ ठिक तरह से समझकर काम करना ।
दोस्तो , अपनी जिंदगी में भी कई ऐसे मौके आते है जिनका अर्थ हम समझ नही पाते । लेकिन जरा सोचकर देखें तो अर्थ काफी आसान होता है । उन्ही अर्थ को समझ कर काम करिये प्रगती आपके कदम चूमेंगी ।

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