भीडतंत्र
राजा ने महामंत्री को अपना स्वप्न बताया । महामंत्री ने कहा – ‘’ राजन , तकिये के निचे देवी ने यदी दवा रखि हैं तो देख
लेते है ।‘’ तकिया उठाकर देखा गया तो दवा कि पुडिया रखी थी ।
तत्काल सुबह के सूरज निकलने के पहले नगर के कुंओ में दवा डलवा दि गयी । और जब नगर वासियों ने पानी पिया तो सभी पागल हो
गये ।
पागल क्या करते , जैसे ही
वे राजा के महल के सामने से निकलते राजा और मंत्री को अपने से भिन्न मन:स्थिती में
देखते और कहते जाते राजा और मंत्री पागल हैं ।
दिन भर यहि हुआ , शाम होते होते राजा और मंत्री का दिमाग खराब हो गया । राजा ने
मंत्री से कहा – ‘’ मंत्री जि कुछ उपाय सोचो – मेरा तो दिमाग खराब हो गया ।‘’
मंत्री ने कहा – राजन एक हि उपाय हैं । उस पुडिया कि थोडिसी दवा मैंने
बचा के रखी थी उसे अपने कुंए में डाल दिजीए ।
महल के कुंए में दवाअ डाल दि गयी । राजा और मंत्री ने पानी पिया । उनकी मन:स्थिती
जनता के समान हो गयी ।
अब नगर के लोग कहती है । राजा और महामंत्री
कि जय , राजा और महामंत्री कि जय्।
भीड अपने हि अनुसार व्यक्ती
को देखती है । जैसे व्यक्ती कि कोई अस्मिता हि नही है ।व्यक्ती खोता जा रहा है भीड
से बचकर जो जीवन जिते है उनका हि जन्म सार्थक है ।
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