अधूरा ज्ञान खतरे से खाली नहीं ।
एक हकिम किसी सराय में ठहरे
हुये थे । वहाँ पर एक ऊंट का घर था । वह ऊंट पास पडे टरबूज को खाना चाहत था । जैसे
हि उसने मुह के अंदर तरबूज को लिया वह उसके गले में अटक गया । बैचेनी कि वजह से
ऊंट कि दशा सोचनिय हो गयी । वह जमीन पर लोट पोट होने लगा ।
ऊंट का मालिक ऊंट कि यह हालत
देखकर बहुत घबडा गया । हकिम ने ऊंट को तरबूज खाते हुवे देख लिया था । हकिम ने
तत्काल उसका निदान निकाल दिया और गर्दन के निचे एक पत्थर रखकर , उपर से दुसरा पत्थर मारकर तरबूज को तोड दिया । ऊंट राजी
खुशी तरबूज तो निगल गया । हकिम के नौकर ने
यह द्रष्य देखा , उसके मुह में पाणी आ गया और उसने इसी रीति को अपनाकर पैसे
कमाने कि योजना बना ली ।
फिर वो शहर निकल गया । शहर में एक धनवान कि पत्नी गले के
फोडे से मरणासन्न अवस्था मे थी । बस यही उसने अपनी हिक्मत का
प्रयोग किया और उसकि
पत्नी के उस फोडे का निदान करना चाहा । परिणाम यह हुआ कि गले के फोडे का निदान तो
नहि हो सका लेकिन सेठानी कि आंखे इस दुर्घट्ना मे चली गयी ।
दोस्तो , सच्चाई यह है कि नकल जिसे
हम copy करना कहते है इससे हमे असल ज्ञान नही मिलता । और आधा
अधूरा ज्ञान किसी लक्श्य तक नहि पहुंच पाता है और इसी लिये ज्ञान कि परिपक्वता
लक्श्य कि पूर्ती हेतू आवश्यक है ।
Comments
Post a Comment